Monday, October 31, 2022

{३९७} मेरा परिचय क्या





मैं क्या, 
मेरा परिचय क्या। 

प्रभु सत्ता से भिन्न 
मेरी अपनी सत्ता क्या। 

ये जीवन, जीव-मरण का अभिनय है, 
सुकर्म, मनुज-जीवन की यज्ञ-आहुति,
परमार्थ, मनुज-जीवन का है तर्पण,
सत्य-पथ से न हो तुम विचलित, 
रहो अग्रसर धर्म-पथ पर,
तन-मन-धन सब कर दे अर्पण,
तू क्या,
तेरा परिचय क्या। 

मैं क्या, 
मेरा परिचय क्या।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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