Monday, October 10, 2022

{३६८ } आजादी गीत






गली गली में बजते देखो आजादी के गीत 
जगह जगह झंडे फहराएं यही पर्व की रीत 
बहे पवन, परचम फहराए, याद दिलाए जीत। 
गली गली में बजते देखो आजादी के गीत।। 

आजादी तो मिली किन्तु क्या वाकई आजाद हैं 
भूले जनमानस को नेता अनसुनी फ़रियाद हैं 
मंहगाई कि मारी जनता, भूल गई ये जीत। 
गली गली में बजते देखो आजादी के गीत।। 

हमने पाई आजादी, भाग गए गोरे-अंग्रेज 
किन्तु बटवारे की पीड़ा, दिल में अब भी तेज 
भाई हमारा हुआ पड़ोसी, भूल गए सब प्रीत। 
गली गली में बजते देखो आजादी के गीत।। 

योगी हम अपनी ही धुन के, सदा चमकता भाल 
देश ध्वज उठा हाथों मे, दशा देश कि रहे संभाल 
हर पल में याद रहे बस, अपना गौरवपूर्ण अतीत। 
गली गली में बजते देखो आजादी के गीत।। 

दिया हमारे वतन का, जलता रहे सदा 
पौधा आजादी का, फलता रहे सदा 
कर्जा अभी बड़ा है, हुआ अभी न वीत। 
गली गली में बजते देखो आजादी के गीत।। 

                                                                                        -- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

( वीत = मुक्त )

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