Saturday, October 29, 2022

{३९५ } ज़िन्दगी दर्द भी है खूबसूरत भी





अदावत भी  है और मोहब्बत भी 
ज़िन्दगी  दर्द भी है  खूबसूरत भी। 

शबे-रोज  पढ़ता हूँ  तुम्हारी आँखें 
ये शरारत भी है और मोहब्बत भी। 

ज़िन्दगी में  गर दो-चार ग़म मिले  
वो नसीहत भी है और हिम्मत भी। 

माँ का आँचल है  अपना आसमाँ  
यही इनायत भी और इबादत भी। 

यूँ ही फ़कीरी में तेरे गुण गाता रहूँ  
यही मोहब्बत भी यही इबादत भी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

6 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(३०-१०-२०२२ ) को 'ममता की फूटती कोंपलें'(चर्चा अंक-४५९६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. खूबसूरत गजल

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  3. बहुत ही सुन्दर गजल

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