अपनी ही हार है
इस बात से ना-वाकिफ़
या
इस बात से गाफिल लोग ही
रिश्तों में जँग शुरू कर
रिश्तों मे दरारें डालते हैं,
ऐसी दरारें
जिन्हे भर पाना
अत्यन्त कठिन होता है,
हे ईश्वर !
ऐसी जँग से
सभी को बचाए,
जिससे,
अपनों की हार में
अपनी ही हार का
सामना न करना पड़े।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment