Wednesday, October 5, 2022

{३६३ } मैं तलछट





मैं तलछट सा 
निकाल कर 
फेंक दिया गया हूँ, 

किनारे पर 
निर्विकार भाव से 
अठखेलियाँ करती 
लहरों को 
मेरा सहलाना 
किसी को भी 
रास नहीं आया। 

आखिर 
तलछट को 
यूँ तिरस्कृत कर 
फेंक देना ही तो 
उसका भाग्य है,

और मैं 
भाग्य को 
भोग रहा हूँ।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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