Thursday, October 20, 2022

{३८६ } ज़िन्दगी की तलाश है





ज़िन्दगी की तलाश है 
दर्द जिसका लिबास है। 

आबो-हवा में ज़हर भरा 
सारा आलम उदास है। 

एक सच के हजार चेहरे 
हर आदमी बदहवास है। 

मिटाए नहीं मिटती है ये 
न जाने कैसी ये प्यास है। 

हर सिम्त फैला है देखो 
अविश्वास ही अविश्वास है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. वाह!!!
    बहुत सटीक
    आबो-हवा में ज़हर भरा
    सारा आलम उदास है।

    एक सच के हजार चेहरे
    हर आदमी बदहवास है।
    लाजवाब।

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  3. क्या बात है। व्यवस्था से उपजे विवाद और अवसाद की सूक्ष्म अभिव्यक्ति 🙏

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