Sunday, October 1, 2017

{३४५} शहीद हूँ मैं




शहीद हूँ मै............ !!!

मेरे देश वासियों,
मेरे लिये सिर्फ़ इतना कर देना
कि,
जब कभी आप खुलकर हँसें,
जब आप शाम को अपने घर लौटॆं
और अपनों से मिलें,
जब आप अपने बच्चों के सँग खेलें,
जब आप सुकून से सोयें,
मुझे भी कभी याद कर लेना........
मेरे देश वासियों,
मेरे लिये सिर्फ़ इतना कर देना......।।

आप और आपका परिवार
आज जिन्दा है,
क्योंकि,
नहीं हूँ.... आज मैँ......!!!

अपनी भारत माँ के लिये,
आपकी शान्ति और सुख के लिये,
भारत की अखन्डता के लिये,
भारत की सीमाओं पर
अपने प्राण निछावर कर दिये हैं मैंने...........

शहीद कहलाता हूँ मैं,
शहीद हूँ मैं।
शहीद हूँ मैं।।

.................. गोपाल कृष्ण शुक्ल "राही"

{३४४} हम तुम




हम तुम
हाँ तुम,

अब तुम
तब तुम,

मैं कब
जब तुम,

मैं क्या
सब तुम,

पाया क्या
तुम ही तुम,

ख्वाहिश क्या
केवल तुम,

सोंचूँ क्या
सिर्फ़ तुम,

क्या मेरे
रब तुम,

हाँ मेरे
रब तुम।।

...... गोपाल कृष्ण शुक्ल "राही"