Sunday, October 23, 2022

{३९० } खुशियों को कैसे मैं गम कहूँ





मिली खुशियों को कैसे मैं गम कहूँ 
मुस्काती आँखों को कैसे नम कहूँ। 

तेरा  ही तो  मेरे दिल  पर  राज है 
सिर्फ तुमको ही तो मैं सनम कहूँ। 

देख कर मुझको जो वो मुस्कुरा दे 
तो उसे दिलबर का ही करम कहूँ। 

वो तिरछी नजरों से मुझे बुला रही 
सच कहूँ इसे  या कि  भरम कहूँ। 

तुम जो आज मिले हो मुझसे यहाँ 
इसे मैं बस रब का ही करम कहूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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