ज़िंदगी को यूँ तबाह मत करना।
ज़िन्दगी तो इम्तिहान लेती ही है
दर्द कितना हो आह मत करना।
हुस्न तो होता ही है बड़ा फरेबी
उसकी तरफ़ निगाह मत करना।
जो तुम्हें चैन दिल का दे न सके
ऐसे शख्स की चाह मत करना।
आँख मूँद के किसी से इश्क क्यूँ
देखो तुम ऐसा गुनाह मत करना।
साथ पाना हो जिससे नामुनासिब
उनसे कोई भी निबाह मत करना।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
निबाह = निर्वाह
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