Wednesday, October 26, 2022

{३९१ } जहर के घूँट हँस-हँस के पिए हैं





जहर के घूँट हँस-हँस के पिए हैं 
हम बहरहाल सलीके से जिए है। 

एक दिन हमको भी याद करोगे 
चंद अफ़साने जमाने को दिए हैं। 

हमको दुनिया से दिली मोहब्बत 
बहुत इल्जाम दुनिया ने दिये हैं। 

ग़म की दौलत भी खूब मिली है 
ज़ख्म भी खाए आँसू भी पिये है। 

न की परवाह कभी रंजों-ग़म की 
शान से रहे और शान से जिये हैं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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