क्या बताऊँ कि मैं कैसा हूँ
ईश्वर कि रची बिसात का
बस एक मोहरा हूँ,
स्वयं बाजी चल नहीं सकता,
बस ईश्वर कि चली चाल पर
किसी प्यादे की तरह
कभी आगे कभी पीछे चलता हूँ,
कभी खुश होता हूँ
तो कभी खूब रोता हूँ।
क्या बताऊँ कि मैं कैसा हूँ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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