Tuesday, November 1, 2022

{३९८} मेरी भी अजब कहानी





मेरी भी अजब कहानी। 
जैसे हो पीर पुरानी।। 

मैं चला निरंतर अन्तर में विश्वास भर 
सूखी-सूखी आँखों में अतृप्त प्यास भर 
न पहुँच सका तुझ तक कभी भी 
छोड़े पथ पर चरण निशानी। 
मेरी भी अजब कहानी।। 

अर्थ क्या शब्द ही रहे अनमने 
खिंचे-खिंचे से और रहे तने-तने 
मीठे-मीठे बोलों मे खारे-खारे से 
वेदना अश्रु बने पानी-पानी। 
मेरी भी अजब कहानी।। 

उजियारी रातों मे अंधियारा जैसे 
छाई काली घटा छँटेगी कैसे 
दीन दृगों में आँसू ही आँसू 
कौन सुने करुणा की वाणी। 
मेरी भी अजब कहानी।। 

                                                                                            -- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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