Thursday, November 3, 2022

{४०१ } अक्सर ध्यान तुम्हारा आता है





अब भी अक्सर ध्यान तुम्हारा आता है
देखूँ ? गुजरा  वक्त  दोबारा  आता है। 

आह नहीं आती है अब तो होंठों तक 
सीने में   बस  एक  अँगारा  आता है। 

जाने किस दुनिया में सोती जागती है 
जिन आँखों में ख्वाब तुम्हारा आता है। 

दिन भर परिंदों की आवाजें  आती हैं 
रात को घर में जंगल सारा  आता है। 

रातों मे  जब  चाँद - चाँदनी आते हैं 
याद  बहुत  तेरा  रुखसारा आता है।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

6 comments:

  1. सबसे अच्छी पंक्तियाँ :
    जाने किस दुनिया में सोती जागती है
    जिन आँखों में ख्वाब तुम्हारा आता है।
    कृपया मेरे ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर "पिता" पर लिखी मेरी कविता और मेरी अन्य रचनाएँ भी अवश्य पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराएं.
    पिता पर लिखी इस कविता को मैंने यूट्यूब चैनल पर अपनी आवाज दी है. उसका लिंक मैंने अपने ब्लॉग में दिया है. उसे सुनकर मेरा मार्गदर्शन करें. सादर आभार ❗️ --ब्रजेन्द्र नाथ

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    1. उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत बहुत आभार मान्यवर

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    1. उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार

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  3. Replies
    1. उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार आपका

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