Saturday, February 26, 2011

{ २१ } इश्क.....






घबराइये न हिज्र और में न ही आँसू बहाइये
लिल्लाह अब तदबीर कर मेरे नजदीक आइये।

बहुत दूर-दूर रह लिये अब तो रहा जाता नहीं
हो दिल में कोई हिचक तो अब उसे मिटाइये।

जमाना सोंचेगा क्या क्यों इसकी फ़िक्र हम करें
जमाना होगा कायल, बस आप करीब आइये।

मोहब्बत आपसे है, रोज लेते क्यों इम्तिहान
वक्त काफ़ी गुजर चुका, अब फ़ैसला सुनाइये।

सफ़र ज़िन्दगी का और राह भी यकसार नही
बन जाँयें आप रहबर, मुझको रास्ता सुझाइये।

हम "यक जाँ दो कालिब" हैं, जमाना पुकारेगा
हमको बरास्ताए-चश्म अपने दिल में बिठाइये।

जब तक बाकी रहेंगी इस ज़िन्दगी में साँसें मेरी
भूल पाऊँगा आपको, ये आप खुद भूल जाइये।


............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल


No comments:

Post a Comment