Tuesday, April 10, 2012

{ १३० } देश बहुत बीमार हो गया





राजनीति के दावेदारों का
जेबी इंकलाब के नारों का
हर शख्स शिकार हो गया।
देश बहुत बीमार हो गया।।

पश्चिम से उठ रही है दुर्गन्ध
पूरब के हो गये जिससे संबंध
अब हालात बहुत खराब दिख रहे
हर मन में हिंसा के ख्वाब सज रहे
देश को मियादी बुखार हो गया।
.......देश बहुत बीमार हो गया।।

लूट-पाट, भूख-भय, झगडे और लडाई
असंस्कृति आ कर संस्कारों में समाई
कोई बहुत अमीर और कोई गरीब भूखा
कैसा हो गया अपना भारत रूखा-सूखा
ये कैसा भ्रष्ट आचार-विचार हो गया।
.............देश बहुत बीमार हो गया।।

परिवर्तन हुआ या हो रहा शोषण
हर गाँव-गली भुगत रही कुपोषण
जर्जर हाल आज हो गई मनुजता
नही बची अब आपस की सहजता
ये कैसा असहज व्यवहार हो गया।
.........देश बहुत बीमार हो गया।।


................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल


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