Wednesday, April 25, 2012

{ १४१ } आशिकी की राह में




क्या अजब दीवानगी है
क्या अजब एहसास है
काँटे भी लगते फ़ूल से
आशिकी की राह में
तुम जो आए ज़िन्दगी में।

दो घडी का है यह सफ़र
प्यार मे बीते यह डगर
तू ही मेरा हमसफ़र है
आशिकी की राह में
तुम जो आए ज़िन्दगी में।

हर कदम पर सिलसिला
ख्वाब का उम्मीद का
बस प्यार ही प्यार है
आशिकी की राह में
तुम जो आए ज़िन्दगी में।

न दर्दो-गम, न वहमों-शक
नफ़रतें नहीं हैं दूर तक
सिवा प्यार के कुछ नही
आशिकी की राह में
तुम जो आए ज़िन्दगी में।

ढूँढना चाहो अगर तो
क्या नहीं मिलता यहाँ
मिल गया मेरा सनम
आशिकी की राह में
तुम जो आए ज़िन्दगी में।

....................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल


2 comments:

  1. न दर्दों गम न वहमो शक
    नफरते नहीं हैं दूर तक ................बहुत सुंदर ....किसी के आने से जिंदगी बदल जाती है ......सतरंगी रंगों में ढल जाती है ....:)

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया पूनम जी.....
      साथ ही आभारी हूँ आपका... क्यो कि यह रचना आपकी रचना को पढने के बाद मष्तिष्क मे आई....

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