Thursday, April 26, 2012

{ १४४ } नर-नारी




नर - नारी
नारी - नर।
नर से नारी
नारी से नर।।

नर में लगी मात्रा
पूर्ण हुई नारी।
नारी से अलग हुई मात्रा
अपूर्ण हुआ नर।।

पर फ़िर भी है
आपस में घनघोर द्वन्द,
करते रहते सभी तरह के
आपस में छल - छन्द।।

नर चाहे नारी पर
अपना शासन,
नारी कहती, पूरे करो
अपने आश्वासन।।

पर,
दोनो ही तो मूर्ख हैं
नही समझते है
कि,
साथ मिलकर ही तो
मूर्तरूप हैं।।

शिव - पार्वती मिलकर ही
अर्धनारीश्वर कहलाते।
सीता के साथ ही
राम भी पूजे जाते।।

शिव या राम में
अकेले पूर्णता का अभाव है।
पार्वती या सीता में
कहाँ अकेले समभाव है।।

अरे ! मूर्ख मनुष्यों,
नर-नारी के बीच का दुराग्रह छोडो,
आपस में मिलकर पूर्ण बनो
संसार में समता का नाता जोडो।।


...................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल



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