Wednesday, September 14, 2022

{३४७ } खो गया हूँ शहर की रफ्तार में




मैं खो गया हूँ शहर की रफ्तार में 
दिल टहल रहा इश्क के गुलजार में|

अब तो नुक्कड़ भी नही पहचानता 
बैठा करता जहाँ मैं यूँ  ही बेकार मे |

उस गली मे फिर कहाँ जाना हुआ 
दिल जहाँ टूटा था पहले प्यार में|

मुस्कुराहट उलझनों मे बदल गई 
उलटफेर ये ज़िंदगी के गुलजार में |

लौट चलें फिर उस बचपन की ओर 
कुछ नहीं रखा जवानी के प्यार में|

.. .. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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