Sunday, February 25, 2018

{३४६} ज़िन्दगी किस्सा कहानी हो गई





प्यार की बातें  जहमत  और फ़ानी हों गईं
अब तो ये ज़िन्दगी किस्सा कहानी हो गई।

पुरानी हो गईं वो  इश्क-मोहब्बत की बातें
बिसरी यादों में  आँखें पानी-पानी हो गईं।

मोहब्बत में बहुत  सहा बेरुखी के दर्द को
दर्द मॆं ही बर्बाद हमारी ये जवानी हो गई।

अपनों का अपनों से भरोसा ही उठ गया
फ़रेब ज़िन्दगी की सच्ची कहानी हो गई।

आखिरी फ़रमान  रब  का  कब आ जाए
अब जहाँ की  बातें  आनी-जानी हो गईं।

.................................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल "राही"

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