Friday, February 15, 2013

{ २४२ } आया बसन्त






आया बसन्त
छाया बसन्त
प्रफ़ुल्लित मन-उच्छवास
मन-मुदित धरती-आकाश।।

अनुगुँजित हो उठा अन्तरमन
नर्तित है जन-जन, हर तन
बजे बाँसुरी स्वाँस-स्वाँस
प्रफ़ुल्लित मन-उच्छवास
मन-मुदित धरती-आकाश।।

आई अभिनन्दन की बेला
वन्दन, अर्चन की बेला
प्रति क्षण नर्तन और रास
प्रफ़ुल्लित मन-उच्छवास
मन-मुदित धरती-आकाश।।

प्रेमल पवन, सुरमई दिशायें
स्वप्निल नयन मुदित मुस्कायें
बिखरा चहुँ-दिश हास-परिहास
प्रफ़ुल्लित मन-उच्छवास
मन-मुदित धरती-आकाश।।

आया बसन्त
छाया बसन्त
प्रफ़ुल्लित मन-उच्छवास
मन-मुदित धरती-आकाश।।

------------------------------------ गोपाल कृष्ण शुक्ल


3 comments:

  1. kyaa baat hain mastttttttttttttttttttt chhaya hain basant acharya shree

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  2. वाह क्या बात है---तन मन मे बासन्तिक राग, अविकल विकल तन मन मदन ताप।

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  3. मन वसंत,तन वसंत,अभिव्यक्ति वसंत मय .................
    वासन्ती मधुरिमा से ओतप्रोत रचना.......
    शुभकामनाएं

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