Sunday, March 31, 2013

{ २५८ } आई है मिलन की रात






देख मेरा प्रेम में महकना
भूल गये तारे भी छिपना
दिल भी भूल गया है घात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।१।।

आओ मिल कर गाये राग मल्हार
छा जायेगी फ़िर से जीवन में बहार
सजनि आओ करे कुछ बात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।२।।

खुशियों के दिन दूर नही हैं
मुझको अब मंजूर नहीं है
सजनि तेरे नयनों की बरसात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।३।।

भँवरा मन ही मन झूम रहा है
कलियों का मुख चूम रहा है
खिल उठा है हर गुल हर पात
आओ सजनि ! आई है मिलन की रात।।४।।


.............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल

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