Tuesday, February 7, 2012

{ ८२ } धर्म बडा या देश ?





धर्म बडा या देश ?
करो मत इसमें अन्तर विशेष ।

दोनो का रखो मान
मत करो अभिमान
दोनो हैं एक-दूसरे के पूरक
जन-जन तक पहुँचाओ
महापुरुषों का यह सन्देश ।

जोड-घटा कर अगर
फ़िर भाग करोगे
तो
क्या रह जायेगा शेष ?

समझ लो यह गणित
धर्म भी है बडा
और बडा है देश ।।


.................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल


1 comment:

  1. गोपाल जी की इस लघु कृति के माध्यम से धर्म और देश के अटूट समबन्ध का बोध होता है जिसे उन्होंने गणितीय सूत्रों के माध्यम से अत्यंत रोचक ढंग से सिद्ध किया है......इसमें पूरक भावों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए महापुरुषों के संदेशों को आधार बनाने का आग्रह किया गया है जो स्वतः ही धर्म और देश के परस्पर संबंधों के विषय में सोचने को प्रेरित करता है और यह समझाता है कि
    "धर्म" धारण करने योग्य व्यवहार है .. और इसका सन्दर्भ व्यक्ति है. इस प्रकार धर्म को धारण करने से उत्तम व्यक्तित्व का विकास होता है जो एक स्वस्थ और उत्तम समाज के निर्माण में सहायक होता है..अब यदि देश की बात करें तो एक स्वस्थ समाज ही एक देश के गौरव का आधार बनता है. अतः देश और धर्म का समबन्ध परस्पर है...

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