Friday, December 4, 2015

{ ३१६ } शिव हूँ मैं




शिव हूँ मैं
शिव हो तुम
शिव है सम्पूर्ण सृष्टि
शिव है अनहद नाद
शिव है अंतर्दृष्टि...............

शिव ही शब्द
शिव ही भाव
शिव ही अभिव्यक्ति
शिव ही स्वीकृति..................

शिव ही भूत
शिव ही भविष्य
शिव ही वर्तमान
शिव ही काल.................

शिव सिन्धु से भी गहरा
शिव निरभ्र विस्तृत व्योम
शिव ही श्री
शिव ही हरि
शिव ही ओम.................

शिव ही शव
शिव ही जीव
शिव ही शक्ति
शिव ही भक्ति...............

शिव ही संरक्षक
शिव ही संहारक
शिव ही शान्त
शिव ही प्रचन्ड.................

शिव ही आदि
शिव ही अनन्त
शिव ही बिन्दु
शिव ही दिग्दिगन्त..............

शिव ही अस्तित्व
शिव ही शाश्वत
शिव ही विष
शिव ही अमृत......................

शिव ही मैं
शिव ही तुम...........।।


............................... गोपाल कृष्ण शुक्ल

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