पाँखुरी
Saturday, January 28, 2012
{ ७७ } गति
ओ.... नदी !
न डालो बीच में भँवर
तुम्हारी गति और
यह धार ही काफ़ी है ।
ओ.... प्रियतम !
है संग तुम्हारा
न डालो पाल
यह पतवार ही काफ़ी है ।।
.................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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