Monday, January 16, 2012

{ ७६ } रात-दिन





अरमान मेरे दिल में मचलते है रातदिन
आप के ख़्वाब दिल में पलते है रात-दिन|

प्यार की प्यास से लब तप रहे रेगबूम से
रस की बूँद की ख्वाहिश रखते है रात-दिन|

हिज्र-बेकरारी पर अब प्यार आने लगा है|
दिल को बस वस्ल की चाहते है रात-दिन|

हर तरफ बिखरी हैं यादें हमनवा सिर्फ तेरी
मैं यहाँ तुम वहाँ वक्त गुजारते हैं रात-दिन|

वस्ल की आरजू अपने दिल में ही लिये हुए
जिन्दगी सिर्फ आँसुओं से भरते है रात-दिन|



.......................................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल


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