Sunday, October 1, 2017

{३४४} हम तुम




हम तुम
हाँ तुम,

अब तुम
तब तुम,

मैं कब
जब तुम,

मैं क्या
सब तुम,

पाया क्या
तुम ही तुम,

ख्वाहिश क्या
केवल तुम,

सोंचूँ क्या
सिर्फ़ तुम,

क्या मेरे
रब तुम,

हाँ मेरे
रब तुम।।

...... गोपाल कृष्ण शुक्ल "राही"

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