Thursday, June 2, 2011

{ ३९ } जिंदगी की किताब







फलसफा जिंदगी का लिखना है, जिंदगी की किताब में लिख,

पढ़ कर लोग हंसेगे-रोएगें इसलिये जिंदगी की किताब में लिख|


ज़िन्दगी के सफ़र मे ये कदम कभी रुकते नही, थकते भी नही,

सफ़र-ए-ज़िन्दगानी रहेगा जारी, ज़िन्दगी की किताब मे लिख।


किसी से तो ज़िन्दगी की खुशी और गमो को कहना ही पडेगा,

फ़ट रही हो छाती दर्दे-गम से तो ज़िन्दगी की किताब मे लिख।


ज़िन्दगी भर तूफ़ान के ही आसार है और तूफ़ान आते भी रहेंगे,

न कर किसी से शिकवा-शिकायत, ज़िन्दगी की किताब मे लिख।


मिटा न पाये जिस हरफ़-ए-ज़िन्दगी को समन्दर की भी लहरे,

वो किस्सा-ए-ज़िन्दगानी सिर्फ़ ज़िन्दगी की किताब मे लिख ।





.................................................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल




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