Friday, January 28, 2011

{ १ } दीवाना........





खुशी, मस्ती, रंगीनी से लबरेज़ मस्ताना हो जाये
एक नजर देख ले तू जिसको, तेरा दीवाना हो जाये।

कोई मजनू, फ़रहाद, हीर, दिल-अफ़्गार ही बन बैठे
तुझे अपनी महफ़िल में जो देखे वो परवाना हो जाये।

उठे जब तेरी कातिल नजर किसी मैगुसार की तरफ़
वो मदहोश, भूले जामो-मीना, खुद पैमाना हो जाये।

तुमको ख्वाबों में रखने वालों से हो तेरी भी आशनाई
दुआ है रब से मेरे महबूब से मेरा भी याराना हो जाये।

मैं समझूँगा मेरे प्यार, मेरे इश्क की ही ताबिश है ये
मेरी मोहब्बत का मशहूर अगर ये अफ़साना हो जाये।


....................................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल


दिल-अफ़गार = जख्मी दिल
मैगुसार = शराबी
ताबिश = जगमगाहट
अफ़साना = कहानी


1 comment:

  1. मत मशहूर करो उसको, एक आम ज़िंदगी जीने दो,
    आपकी है अभी वो, आगे भी अपनी ही रहने दो.

    बहुत बहुत प्यार !

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