पाँखुरी
Sunday, September 16, 2012
{ १९६ ) प्यासी ज़िन्दगी
ये ज़िन्दगी
तो बस
शराब का
एक जाम है,
जिसे पीकर
होठ भीगें,
पर प्यास
फ़िर भी न बुझ पाये,
और प्यासी ज़िन्दगी
बढती जाये।
बढती जाये।।
----------------- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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