Sunday, November 29, 2015

{ ३१४ } पहचानों वक्त को





देखो.........!! समझो........!!!
जानो .......!! और मानो.......!!!

वक्त से बड़ा
कर्मों का हिसाबी
कोई नहीं है........... !!!

अगले क्षण से वंचित कर
वह सजा ही देता है
हर उस व्यक्ति को
जो खुद के
इस क्षण को
यूँ ही बर्बाद कर देते हैं........... !!!


............................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल

Tuesday, November 24, 2015

{ ३१३ } मिलता नहीं कहीं ज़िन्दगी का साहिल





लाख मशक्कत कर ली पर कुछ न हासिल है
न अपना समन्दर है न कोई अपना साहिल है।

वफ़ा के नाम पे खेलता है आशिक के दिल से
वो किसी का महबूब नही इश्क का कातिल है।

दरिया-ए-जीस्त में बहते कई किनारे देख चुके
पर मिलता नहीं कहीं ज़िन्दगी का साहिल है।

आसमाँ में छाया है हर तरफ़ गम का अन्धेरा
शायद फ़िर जला किसी आशिक का दिल है।

भूलना ही होगा दर्द दिल के ज़ख्मी होने का
मेरा महबूब ही मेरे मासूम दिल का कातिल है।

...................................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल