Monday, May 14, 2012

{ १६३ } दिल के बन्द दरवाजे





संकेतों की भाषा जब-कब बोलोगे
बन्द दरवाजे दिल के कब खोलोगे।

सपनों की अट्टालिका है सजी हुई
सुधि के दरवाजों को कब खोलोगे।

पुष्प की पाँखुरी बन वातावरण में
सुगन्ध की मधुर बयार कब घोलोगे।

बाकी हैं अब भी ज़िन्दगी की उमंगें
किसी को सनम अपना कब बोलोगे।

कौन सी ऐसी खता हो गई है हमसे
शबो-रोज सोचूँ, मुँह तुम कब खोलोगे।

प्यार वफ़ा का मतलब तब जानोगे
अपने ही दिल को जब तुम तोलोगे।


..................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल


1 comment:

  1. बहुत सुंदर.................................

    सादर.

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