हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......
बेबस इसाँ की शुचिता को
भीगी आँखों की सरिता को
सारा जग पैसे से तोले ।
हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......
इसके पीछे है दुनिया पागल
साधू-संतों का मन भी घायल
पैसे पर ही सारी दुनिया डोले ।
हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......
सुख-सुविधा का ढेर लगा दे
भेद हृदय के सारे खुलवा दे
पैसा बदल दे सबके चोले ।
हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......
उसको सुख का आनन्द नही
उसके पुष्पॊं पर मकरन्द नही
बिन पैसे काँटों पर सो ले ।
हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......
गुण से ज्यादा अवगुण धन में
कटुता ही कटुता भरता मन में
फ़िर भी मानुष पैसा-पैसा बोले ।
हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......
........................................ गोपाल कृष्ण शुक्ल
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