सुरसा मुख धारी भ्रष्टाचारी आचरण,
शहर के गन्दे-गलीच नालों के अपने लिये
सुगम पथ को अपनाकर तेज गति से
निच्छल और उन्मुक्त बहने वाली
नदियों में गिरकर, घुल-मिल कर
अब गाँव-देहात के खेत खलिहानों को
सिंचित करने में जुटे हुए है,
भय है कि,
कृषि प्रधान देश भारत का
सरल और मेहनतकश किसान भी कहीं
सुरसा मुख धारी भ्रष्टाचार रूपी फ़सल को
संरक्षित न करने लगे।।
....................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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