सच्ची मोहब्बत का मंजर दुनिया को नजर आयेगा।
अपने लबों पर तुम न लाओ चाहे मेरा नाम बार-बार
मेरा तुमसे है कोई रिश्ता, तेरे चेहरे पर उभर आयेगा।
ख्वाबों से रिश्ता और नींद से बोझिल हो जायेंगी आँखे
मुझसे इश्क करके ही तुम्हे जीने का हुनर आ पायेगा।
जरा मेरी आँखों के आइने में खुद को सजाओ - संवारो
तेरे जिस्म-दिलो-जान में सुरूर ही सुरूर उभर आयेगा।
आसमानों में लिखी तहरीर कुछ और भी धुँधली होगी
मेरी तस्वीर रहेगी आँखों में, और कुछ न नज़र आयेगा।
खूबसूरत और महकता सा एक गुलशन सजाओ दिल में
हर सुहानी शाम को खुद-ब-खुद ये भँवरा उधर आयेगा।
.................................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment