तस्लीम कर रहा हूँ मोहब्बत मैं आपकी
चाहता हूँ उम्र भर हिफ़ाजत मैं आपकी।
होना नही है रूबरू दुनिया से अब मुझे
रहूँगा बनके जानेजाँ उलफ़त मै आपकी।
मेरी नज़र मे प्यार की भाषा को देखिये
कर दूँगा दूर सारी शिकायत मैं आपकी ।
दीदार आपके प्यार का होता रहे अगर
बन जाउँगा एक दिन जरूरत मैं आपकी ।
मुद्दत से कर रहा हूँ मैं आपका इन्तज़ार
सौपूँगा आप ही को अमानत मैं आपकी ।
............................................................ गोपल कृष्ण शुक्ल
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