आओगे तुम जरूर आओगे,
पास पहलू मे मुस्कुराओगे।
पास मेरा न होना अखरेगा,
दिल की आवाज से बुलाओगे।
तुम अकेले में पास पहलू में,
हर घडी सिर्फ़ मुझको पाओगे।
हिज्र में इश्क का बीमार कहे,
जलोगे तुम भी गर जलाओगे।
रूह ने रूह को कुछ यूँ पुकारा है,
दूर मुझसे हरगिज़ न रह पाओगे।
.................................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल
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