दिल तो दिल जाँ निसार है तुम पर,
इस कदर मेरा एतबार है तुम पर ।
ये साँसें चलती रहे या कि थम जाये,
अब सारा ही दारोमदार है तुम पर ।
हाय, कमबख्त ये लब नही खुलते,
मगर मेरी आँखें बारबार है तुम पर।
मगर याद रखना कहीं भुला नही देना,
आज भी एक वादा उधार है तुम पर।
तू अगर हाँ कह दे तो मै चैन से जी लूँ,
मेरी जान, मेरा सब्रो-करार है तुम पर ।
..................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment