Wednesday, November 9, 2022

{४०४ } क्या पढ़ें हम दर्द की व्याकरण





क्या पढ़ें हम दर्द की व्याकरण 
ज़िन्दगी कट रही चरण चरण। 

सच को भी वो सच कहते नहीं 
आचरण पे पड़ा हुआ आवरण। 

मोह किससे अब कहाँ तक रहे 
बँध न पाते अब नयन से नयन। 

सत्य, सत्य को ही न पहचानता 
हो गया है यह कैसा वातावरण। 

भटकते हुए बीत रही उम्र सारी 
मिली न कहीं आशा की किरण। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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