Thursday, November 17, 2022

{४०६ } नज़्म कहाँ रखी है मैंने





कब से ढूँढ़ रहा हूँ 
रिसालों में,
नई-पुरानी 
किताबों के वर्क में,
नज़्म कहाँ रखी है मैंने?

नज़्म को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते मिल जाते हैं 
कलम, दवात, कोरे कागज 
और मेरी बनाई हुई 
तेरी तस्वीर,
लेकिन नज़्म 
अभी भी नहीं मिलती। 
नज़्म कहाँ रखी है मैंने?

नज़्म में हरफ़ों से खिंची 
तेरी तस्वीर थी,
मेरा तसव्वुर था,
मेरी उम्मीद थी
और तुम थी,
नहीं मिलती है नज़्म। 
नज़्म कहाँ रखी है मैंने?

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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