Sunday, November 20, 2022

{४०७} बस मैं जिन्दा हूँ





बस मैं जिन्दा हूँ। 
है मुझको आभास,
बचा फकत अहसास,
कीमत में दे दिया 
उसूलों को अपने,
ले ही लिया सन्यास,
खामियों का पुलिंदा हूँ,
बस मैं जिन्दा हूँ। 

बिखरता हूँ और टूटता हूँ 
अन्दर अन्दर तड़पता हूँ 
तिल तिल खोखला होता हूँ 
खुद से खुद ही बात करता हूँ 
बिना परवाज़ का परिंदा हूँ,
बस मैं जिन्दा हूँ।। 

                                                                                      -- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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