तुम जब से रूठ कर
मुझसे दूर गए हो
एक मासूम अश्क
पलकों के कोनों मे
अटक सा गया है।
शायद इस मासूम अश्क को
आज भी तुम्हारा इंतजार है
ये मासूम अश्क आज भी
आस लगाए हुए है
कि तुम आओगे
और ललक कर उसे
अपनी अंजुरी में भर लोगे।
देखो !
मायूस मत होने देना
उस मासूम अश्क को।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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