Wednesday, February 6, 2013

{ २३५ } सिर्फ़ तुम्हारे लिये





जिक्र जब-जब आपका चलता है
दिल मेरा मचल-मचल उठता है।

जब से आप आए मेरे चमन में
गुलशन महका-महका करता है।

घटती-बढती हैं दिल की धडकने
जब भी अक्श आपका दिखता है।

कोयल की कुहू-कुहू अब हरतरफ़
दिल का सितार भी बजा करता है।

अब हर वक्त रहती होठों पर हँसी
दिल आपका शुक्रिया अदा करता है।


_____________________ गोपाल कृष्ण शुक्ल

3 comments:

  1. bahut khoob gopal jee..... urdu ki jo pakad aapke lekhni me dekhni ko milti hai, vartmaan me kam hi dikhta hai.

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  2. बेहद नाजुक अहसासों को बेहद नाजुक लफ्जों में बयाँ कर दिया| वाह

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  3. acharya shree kya kahne koi shbad nhi hain

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