ईश्वर की मर्जी के बिन
एक पत्ता भी न हिलता है
जिसके भाग्य में जो होता
उसको वो सब कुछ मिलता है......|
ईश्वर ही जाने
किसको क्या देना है,
कब देना है,
और क्यों देना है....|
ईश्वर ही जाने
उसको किससे क्या लेना है,
कब लेना है,
और क्यों लेना है.....|
हम मनुज कठपुतली हैं उसकी
हाड़- मांस के पुतले
उसके हिलाए हिलते हैं
जितना जीवन जीवन देता वो हमको
उतना ही बस हम चलते........|
उतना ही बस हम चलते........||
.................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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