मत बोलो मुख से इतने ऊँचे बोल।
बातें ही उठवाती हमसे तीर कमान
बदल के रख देती ये सारा भूगोल।
बातें ही मधु, बातें ही हैं बनती तोप
बातों में थोड़ी सी तू मिसरी घोल।
पहुँचे बातें बस उस की ही रब तक
भजन करे जो पर न पीटे वो ढ़ोल।
होएगी एक दिन करम की बारिश
यूँ ही तू बस उसकी ही जय बोल।
.......................................... गोपाल कॄष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment