लो उठा ली मैने कलम
लिखी पाती नाम तेरे सनम।।
मस्ती आँखों में छा जाये
यादें रह-रह कर ललचायें
अनगिन गीत लिखे तेरे मैने
जिनको गा कर मन हर्षाये।
आ पास आ दिल की धडकन
आ गया तरन्नुम का मौसम।।
अब कैसे छोडे हम दुनियादारी
मह-मह महके मेरी फ़ुलवारी
नित नई बहारें यहाँ हैं आती
मस्ती की बगिया सबसे प्यारी।
मस्त यादों के उमडते बादल
अब यूँ आँख न मुझसे चुरा सनम।।
तेरी पायल चूडी और कँगन
हर पल करती हैं छन-छन
मेरे जीवन-पथ में छाई हो
अब तुम ही हो मेरा जीवन।
लगे अब मुझे हर पल ऐसा
तुम ही हो साँसों की सरगम।।
................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
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