वृक्ष, एक वृक्ष,
हरा-भरा
कली-फ़ूलों से लदा
जीवन की अन्तिम साँस तक
सिर्फ़ सुगन्ध लुटाता है।।
वृक्ष, एक वृक्ष,
जिसकी स्निग्ध छाया
हर इसांन को
हृदय से लगाती है
और सिजदा करती है।।
वृक्ष, एक वृक्ष,
धरती पर फ़ूल लुटाता
हर इसांन को
आँसू पी कर
मुस्कुराना सिखाता है।।
............................ गोपाल कृष्ण शुक्ल
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