ओ युवाओं ! भारत के शौर्य, ओ यशस्वी
विश्व में कीर्ति तुम्हारी, बुद्धिमान तपस्वी
ललकार रही आज तुम्हे सियारों की श्रेणी
आई है दूषित करने माँ भारती की वेणी।।१।।
ये नही उषाकाल, है पश्चिम की दिशा लाल
आँधी काली-काली उठती, अब उसे सँभाल
होता आश्चर्य बहुत, तिमिर कैसे नियराया
घर का शेर मरने के क्षण, है लगता बौराया।।२।।
विश्व विजेता संतति हो, कौन टक्कर लेगा
खोलो नेत्र तीसरा, कालकूट धू-धू जल उठेगा
उठो शार्दूल ! अब अरिदल को धूल चटा दो
देश-द्रोहियों को दे सजा, नर्क तक पहुँचा दो।।३।।
.......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल
सुन्दर अति सुन्दर !!
ReplyDeleteadbhut oj se paripoorn rachna ..bhai ....bahut umda !!
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