वहाँ होगा जरूर खुशियों का चेहरा,
जहाँ है हँसने पर बंदिशें
वहाँ होगा जरूर रोने पर पहरा,
जहाँ ज़िन्दगी में है गहरा अँधेरा
वहाँ छुपा होगा जरूर स्वर्णिम सबेरा,
जहाँ छिपा है अज्ञान और असत्य
वहाँ होगा जरूर गूढ़ ज्ञान और सत्य।
फिर क्यों मनुष्य निराशा को
इस कदर करता है
हावी अपने मन पर,
यह जानते हुए कि
होता है हर अँधेरे के बाद
नया जगमगाता स्वर्णिम सबेरा।
नया जगमगाता स्वर्णिम सबेरा।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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