प्यार रास नहीं,
रंग रोमांस नहीं,
मन में पल भर को उठा
कोई खुमार नहीं।।
प्यार सौदा नहीं,
प्यार व्यापार नहीं,
तू न दे तो मैं न दूँ
ऐसा कारोबार नहीं।।
सृष्टि बस मेरी ही है
किसी और का अधिकार नहीं
जब हो सोंच ऐसी
फिर तो वहाँ प्यार नहीं।।
प्यार अकृतज्ञता नहीं,
ईर्ष्या और स्वार्थ नहीं,
कटुता और हिंसा से
प्यार को सरोकार नहीं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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