Monday, September 19, 2022

{३५३ } जीवन का यही ताना-बाना




फ़ूल खिलते हैं 
सूख जाते हैं 
झर जाते हैं,

काँटे भी मिलते हैं 
चुभते हैं 
बिखर जाते हैं,

सुख आता है 
सुख जाता है 
रुकता नहीं है,

दुख भी आता है 
दुख जाता है 
पर रहता नहीं है,

जीवन का यही नियम है 
जो आज यहाँ है 
वो कल जाने कहाँ हो,

मिलना और बिछड़ जाना 
फिर से मिलना 
और फिर से बिछड़ जाना,

जीवन का यही ताना-बाना।
जीवन का बस यही ताना-बाना।। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

No comments:

Post a Comment